सोचा था बूरे वक़्त के सायें को पैरों तले रौंद कर आगे बढ़ जाऊँगा
उस वक़्त क्या पता था कि अँधेरी रात इंतज़ार कर रही थी
उस वक़्त क्या पता था कि अँधेरी रात इंतज़ार कर रही थी
Amateur attempt to enter poetic world
![]() |
Dark clouds all around |
![]() |
© Blogger template Shiny by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP