Tuesday, June 10, 2008

:)

आज हिन्दी भाषा में लिखने का मन कर रहा था तो transliterator का प्रयोग कर रहा हूँ|

प्रभातकालीन वातावरण, सुसुप्त आधी दुनीया
हवाओ का शोर, एकांत पड़ी सड़के
बात कर रहा हूँ सुबह पाँच बजे की

नींद तनीक दुरी पे, ना ही पूर्णतः जागरण
करना चाहे सब कुछ,
लेकिन करते है कुछ भी नही

वाह वाह मैंने कुछ पंक्तिया तो लिख दी
मुझे कुछ तो हिन्दी याद है
यह हुयी ना बात मजे की

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